Friday, April 30, 2010

दामन तेरा छूटते ही......

दामन तेरा छूटते ही.......
न रहा कोई साथी संगी इस जहाँ में
न रही कोई आस इस जहाँ में
बिन तेरे
उम्मीदों का कोई सहारा न रहा बिन तेरे
आस्था भी उठ गयी इस संसार से बिन तेरे।
दिल में जो उमंगें थीं पार्थिव हो गयीं तेरे साथ ही
हृदय में जो एक आस थी वह भी रह गयी
ऐ खुदा अब क्या रहा इस जहाँ में बिन तेरे।।


राघवेन्द्र गुप्ता 'राघव'

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