
नवजात शिशु के जन्मते ही
उमंग का आभास होता है
स्वजन हर्षोल्लासित होते हैं
मंगल गीत गाये जाते है।
जननी के हृदय में वात्सल्य भावना जागती है
परम आनन्द की अनुभूति होती है
नये रिश्तों की शुरूआत होती है
कोई मौसी तो कोई बुआ होती है।
शिशु की किलकारियों से गूँजते हैं घर आँगन
वृद्ध चेहरों की झुर्रियां मिटती हैं
कंपकंपाते हाथों में नई जान आती है।
पिता का भी मस्तक दमक उठता है
मन मचल उठता है
हर किसी का उसे छूने को
फिर से जीने की तमन्ना जागृत हो जाती है।।
wah wah wah wah...kya shayri mara hai...I mean kya shayri arz farmaya hai...
ReplyDeleteAziz
बहुत आछा लिखा है .....
ReplyDeleteब्लॉग जगत में प्रवेश व अच्छी रचना हेतु हार्दिक स्वागत..
ReplyDeleteशब्द पुष्टिकरण (वर्ड वेरीफिकेशन) का विकल्प हटा दें तो अच्छा रहे।
ReplyDeletePoem for Maternity or Paternity Leave Application
ReplyDelete